वायवीय सिद्धि
खाली जगह या आकाश या शून्य में से किसी भी वास्तु को प्राप्त करने की क्रिया को वायवीय या शून्य सिद्धि कहते है शून्य में से पदार्थ प्राप्त करना भारतीय योगियों के लिए कोई कठिन क्रिया नहीं रही मगर इस सिद्धि के जानकर बहुत ही कम लोग है ऐसे ही योगियों में त्रिजटा अघोरी, अजानानंदजी भूर्भुआबाबा
भी अनेक योगी इस वायवीय सिद्धि के अच्छे जानकर है इसी कड़ी में हरिओम बाबाऔर स्वामी निखिलेस्वरानन्दजी को भी वायवीयसिद्धि में महारत हासिल थी जंगलो में जब साधना रत रहते थे तब सोचिये कहा से अपना सामान लाते होगे क्योकि ये जंगल शहर से काफी दूरी पर होते है इस प्रकार के जंगलो से वे अपनी आवश्यकता की वस्तु को अगर शहर से लाये तो पूरा दिन इसी कार्य में निकल जायेगा इसलिए ही ये साधू संत वायवीय सिद्धियों का उपयोग करते हुए वही बैठे बैठे अपना कोई भी सामान शून्य में से प्राप्त कर लेते है सामानो में भोजन ,शीतल जल वस्त्र धन -धान्य और जो भी मन में इच्छा हो उसी चीज को सेकिन्डो में प्राप्त कर लेते है इनमे कुछ पदार्थ तो ऐसे है जिन्हे हम आप भी प्राप्त नहीं कर सकते जैसे जाड़े के मौसम में आम खाने की इच्छा होने पर भी आम नहीं खा सकते क्योकि जाड़े में पेड़ो पर आम नहीं लगते इसलिए हमें आम प्राप्त नहीं होगे मगर इन योगिया के साथ ऐसा नहीं है ये जब भी चाहे वायवीय सिद्धि के माध्यम से बे मौसम के भी आम या कोई भी चीज प्राप्त कर सकते है
एक बार की बात है की स्वामी निखिलेस्वरानंदजी अपने सन्यास की शुरूआती दिनों में घने जंगलो में एक योगिराज जी से साधना सीखने गए उन योगिराज जी के पास में एक शेर हर समय उनकी रक्षा में रहता था अतः उनसे मिलने की कोई भी हिम्मत नहीं रखता था स्वामी निखिलेस्वरानंदजी को भी लोगो ने रोक कि वह मत जाओ क्योकि वहा खूखार शेर रहता है और वहा जो भी जाता है उसे खा जाता है निखिलेस्वरानंदजी कुछ परेशान हुए फिर उन्होंने सोचा की बिना खतरा उठाये तो कुछ भी प्राप्त नहीं होगा और इस संकल्प साधना को सि खाने वाला और कोई भी योगी नहीं है स्वामीजी जब शेर वाले महाराजजी की कुतिया के पास पहुंचे तब एक पेड़ पर चढ़कर वही से आवाज लगाने लगे तभी आवाज़ सुनकर वह शेर तेज़ी से निखिलेस्वरानन्द जी की तरफ दौड़ा मगर पेड़ पर नहीं चढ़ सका उस समय वह योगी जी भी उस कुटिया में नहीं थे इस बीच तीन दिन -रात इसी तरह निकल गए शेर नीचे ही बैठा रहा बड़ी परेशानी थी
अब निखिलेस्वरानंदजी ने अपनी कुछ सिद्धियो का सहारा लेने की सोची क्योकि योगी लोग बिना प्राण संकट के अपनी सिद्धियों का प्रयोग नहीं करते और तब स्वामी जी ने मुख बंधनऔर शरीर बंधन प्रयोग किया अब शेर का सारा शरीर और मुँह बांध चुका था तब कही जाकर निखिलेस्वरानंदजी नीचे उतरे और उन योगिराज की कुटिआ तक पहुंचे योगिराज सामने बैठे मुस्करा रहे थे और मन ही मन समझ चुके थे कि निखिलेस्वरानंदजी उच्चकोटि की साधनाओ में पारंगगत है योगीराज ने निखिलजी से कहा कि तुम परीक्षा में पूर्ण उत्तीर्ण हुए हो बोलो तुम मुझसे क्या सीखना चाहते हो तब निखिलजी ने वायवीय विद्या सीखने की इच्छा प्रकट की योगिराजजी ने वहा रहने की अनुमति दे दी
और इस विद्या को पूर्ण रूप से सिखादिया उस समय सर्दी का मौसम था योगी
जी ने पूछा कि क्या खाओगे तब निखिलजी के मुख से निकला आम योगीजी ने हवा में हाथ लहराकर संकल्प किया तुरंत हाथ में दो सुन्दर आम आ गए जिन्हे निखिलजी खाया और खाने के बाद कहा कि इतने रसीले आम मैंने कभी नहीं खाए उस आश्रम से वापिस आते समय योगीजी और निखिलेस्वरानंदजी आपस में मिलकर खूब रोये विदा होते समय योगीजी निखिलजी से इतना प्रेम करने लगे थे कि उन्होंने कहा कि मरते समय तुम मेरे ही पास रहना मैंने तुम्हारे जैसा शिष्य नहीं देखा जिसने अपनी जान जोखिम में डाल के मुझ तक पहुंच ही गया तब तक वह शेर भी निकिलेस्वरानन्दजी से काफी हिल मिल गया था वह निखिलजी के चरणो में लिपट गया और रास्ता रोककर खड़ा हो गया क्योकि निखिलजी भी साधना के दिनों में उसका बहुत ख्याल रखते थे और हर समय उसके खाने के लिए नयी नयी चीजे देते रहते थे और इस प्रकार दुखी मन से वह से विदा हुए बाद में योगिराज की मृत्यु होने के कुछ समय पूर्व उस आश्रम में दुबारा से आये और योगिराज जी की सेवा की निखिलेस्वरानंदजी के ही सामने उनकी मृत्यु हुई से पाठक समझ सकते है कि अगर किसी योगी ,यति सन्यासी पर ये सिद्धि है तो उसे हर प्रकार की वास्तु हर समय उपलब्ध रहती है आज ये साधना गिने -चुने लोगो तक ही सीमित रह गयी है यह हम सब भारत वासियो का सौभाग्य है कि हम ऐसे योगियों के देश में रहते है योगियों के मन में कोई ऊच -नंच का भाव नहीं होता वे तो सिर्फ शिष्य की पात्रता देखते है हा इस सब में वे शिष्य की पहले ही कठोर परीक्षा अवश्य लेते है जिसजे कि शिष्य इस सिद्धी का कोई गलत इस्तेमाल न करे वस्तुतः वायवीय सिद्धि एक आश्चर्य जनक सिद्धि है
what is the mantra of vaiveey siddhi and vidhi as am sadhak since 2008.
ReplyDeleteHam
DeleteHam
Deletehi kirti its been 1 year i have seen this post reply .
Deletethanks but can you give me ur cintact info number or email bcz i need to ask more
8320338834
ReplyDeleteBlackjack at JM Sportsbook in New Jersey - KLH Hub
ReplyDeleteJCM Sportsbook 영천 출장샵 offers a $1,000 daily 벳 365 deposit match 군포 출장샵 bonus and bonus amount. All bets are accepted at 정읍 출장샵 Blackjack at JCM 청주 출장샵 Sportsbook.