Saturday, 12 December 2015

trikaldarshi kaise bane

Mount Shivling, Shivling (Garhwal Himalaya)

त्रिकालदर्शी कैसे बने 
हमारे पूर्वज त्रिकालदर्शी थे और वह एक स्थान पर बैठे -बैठे ही संसार की 
किसी भी घटना को देख लेते थे बात यही रूकती वह इतने समर्थ थे  कि 
पीछे सौ  साल की घटित घटनाओको भी देख सकने में व आगे सौ सालो 
में आने वाली घटनाओको भी देख सकने में समर्थ थे इसका यही मतलब 
निकाला जा सकता हैपूर्वजन्म की घटनाओ के कारण हमाराभाग्य निश्चि-
त हो जाता है और आगे की घटनाए भी पहले  से  ही निश्चित हो जाती है 
तभी तो हमें   आगे  की घटनाए  देख  पाने  में समर्थ हो पाते है इसीलिए 
ब्रह्मंण में पहले से ही बीता  हुआ समय और आने वाला समय अंकित  हो 
जाता है  आवश्यकता इस बात बात  की है कि  हम  कैसे  उन  क्षणो  को  
पकड़ने की क्रिया सीखे  क्रिया को  सीखने  लिए हमारे पास सबसे प्रवल 
क्रिया मन ही है  जिसके माध्यम  से हम भूत  भविष्य  साफ -साफ  देख 
सकते है । 
इस क्रिया को सीखने के लिए साधक को सबसे पहले त्राटक का अभ्यास 
करना चाहिए तब उसे अपने मन को आज्ञा देनी चाहिए कि किसी व्यक्ति 
के जीवन में  घुसकर उसके जीवन की पिछली घटनाओ को  देखे इस  त-
 रह मन उसके  बीते  हुए समय चक्र में प्रवेश करता है और  जो  घटनाये 
बीत चुकी है वह सब कुछ सामने आ जाता है और वे घटनाये साफ -साफ 
दिखाई दे जाती है इसी को अतीत देखने की क्रिया कहते है उसी प्रकार से 
जब मन को आगे की घटनाये देखने के लिए आदेश  दिया  जाता  है तब 
मन उस क।ल खंड में प्रवेश  करके  आगे  की  घटनाओ  को भी देखने में 
समर्थ हो जाता है और उस व्यक्ति के जीवन की सभी  घटनाओको हू -बहू 
बयां कर देता है सामने वाला व्यक्ति यह सब सुनकर हत  प्रभ रहजाता है 
 व्यक्ति के जीवन की छोटी से छोटी घटना को भीअच्छी तरह सेबता देता 
है जो  घटनाये  अत्यंत गोपनीय होती है जिसके बारे  में  व्यक्ति ने  कभी 
किसी से शेयर नहीं किया होता वह घटना भी क्रियाद्वारा मन बता देता है 
 इसी क्रिया को भविष्य दर्शन  कहते  है इस प्रकार  यह  स्पस्ट है कि यह 
क्रिया अत्यंत ही महत्वपूर्ण है औरइस क्रिया को त्रिकालदर्शिता की संज्ञा 
दी जाती है यह क्रिया अपने अनाहत चक्र को भी जगाकर संपन्न की जा
सकती है  इसके लिए हमें अपनी कुण्डलिनी शक्ति को  जगाकर  अनाहत 
चक्र  तक पहुचना पड़ेगातब अनाहत चक्रको जाग्रत करमन पर नियंत्रण 
प्राप्त करे फिर समय को देखने का प्रयत्न करे जिसको अज्ञात  कहा जाता 
है ऐसी स्थिति प्राप्त होने पर व्यक्ति   त्रिकालदर्शी बन जाता है | 


2 comments:

  1. यह शत प्रतिशत बराबर है ... हम पुराने ग्रंथ और योगी - संन्यासी पुरूषो की चरीत्र गाथा पढकर इसे समज सकते है ...

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